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अहमदाबाद। आज नवपदजी की आराधना का सातवां दिन चारित्र पद की आराधना का दिन है। जो इन नवपदजी की आराधना कर रहे हैं वे धन्य के पात्र है। शास्त्रकार महर्षि चारित्र की महानता बताते ही है किंतु समस्त दुनिया भी चरित्र की खूब कीमत करते हंै। चरित्र क व्याख्या हरेक के मुताबिक अलग-अलग होती है। चरित्र की हमेशा बोलबाला है। अंग्रेजी में एक कहावत है।
ढ्ढद्घ 2द्गड्डद्यह्लद्ध द्बह्य द्यशह्यह्ल, ठ्ठशह्लद्धद्बठ्ठद्द द्बह्य द्यशह्यह्ल यानह्म् धन चला गया घबराना नहीं आज पैसा नहीं है तो कल वापिस आ भी जाएगा।
ढ्ढद्घ ॥द्गड्डद्यह्लद्ध द्बह्य द्यशह्यह्ल, स्शद्वद्गह्लद्धद्बठ्ठद्द द्बह्य द्यशह्यह्ल याने की तबीयत बिगड़ गई ध्यान में रखना कुछ ही बिगड़ा है दवा लगे ठीक हो जाओंगे।
ढ्ढद्घ ष्द्धड्डह्म्ड्डष्ह्लद्गह्म् द्बह्य द्यशह्यह्ल, द्ग1द्गह्म्4ह्लद्धद्बठ्ठद्द द्बह्य द्यशह्यह्ल याने जब चारित्र नष्ट हो गया समझ लेना धन-संपत्ति-शरीर एवं शांति सब कुछ खो बैठोंगे।
अहमदाबाद में बिराजित प्रखर प्रवचनकार, संत मनीषि, गच्छाधिपति प.पू.आ.देव राजयश सूरीश्वरजी महाराजा श्रोताजनों को संबोधित करते हुए फरमाते हैं कि चरित्र की गढ़ाई करनी है तो तय करो कभी झूठ नहीं बोलूंगाछ झुठे बोल एवं झूठी माहितीयों से किसी के भेजे पर भार नहीं डालूंगा। जो व्यक्ति इस प्रकार से झूठ बोलता है वह हमेशा ह्लद्गह्म्ह्यद्बशठ्ठ से भरा रहता है। शास्त्रकार महर्षि फरमाते हंै सत्य बोलने वाले को कभी भी किसी भी प्रकार की तकलीफ नहीं होती है। चरित्रवान् रात को सोते ही परमात्मा के शरण में पहुंच जाता है। सुबह उठते ही खिला हुआ कमल की तरह परमात्मा का ही शरण लेता है।
पूज्यश्री फरमाते है चारित्रवान कभी किसी प्राणी को पीढ़ा नहीं करता, कभी मिथ्या वचन-झूठ वचन नहीं बोलता, अनधिकारी कभी किसी स्त्री के ऊपर खराब नजर नहीं करता है तथा किसी भी प्रकार के इन्द्रिय के आकर्षण में नहीं फंसता है। दुनिया में आपके पास ज्यादह कमाने की शक्ति है ध्यान में रखना इस दुनिया की जितनी भी संपत्ति है आप सिर्फ व्यवस्थापक हो, मालिक हो। लोभ बढ़ाओंगे जीवन खत्म हो जाएगा। खूब मेहनतु। पुर के समय भी चंदन की लकड़ी इकट्ठी करके जिसने खूब पैसा कमाया तथा तेल एवं चोला खाकर जिसने जिंदगी पूरी की ऐसा मम्मण सेठ सोभ किया तो उसकी ऐसी दशा हुई। पूज्यश्री फरमाते है चारित्रवान की पांच सुंदर बाते हरेक के परिवार में, हर देश में, दुनिया के हर लोगों में आ जाए तो सभी का कल्याण हो जाएगा। इन बातों को यदि जगत अच्छी तरह से समझ जाए तो इन पांच वस्तु से तमाम समस्याएं अटक जाएगी फिर तो हरेक का जीवन मंगलमय बन जाएगा तथा हरेक शांति का अनुभव करेंगे। चारित्रवान के लिए सामन्य से ये द्रव्य की बात थी।
हरेक श्रावक के जीवन में महत्त्वकांक्षा मोक्ष में जाने की होती है। जल्दी से जल्दी मानव कुल मिला है तो महाव्रत ले लेना है। जिन्होंने संयम ग्रहण नहीं किया उनका जीवन व्यर्थ है। शांतिनाथ भगवान-कुन्थुनाथ भगवान एवं अरनाथ भगवान तीनों चक्रवर्ती थे। चक्रवर्ती के पास विशाल संपत्ति होने के बावजूद उन्होंने लक्ष्मी का त्याग करके परमात्मा का शरण स्वीकारा। शालिभद्र के पास अपार संपत्ति थी। इन श्रद्धि सिद्धि के होते हुएभी जब उन्हें वैराग्य आया वे इन सब को छोड़कर घर से निकल पड़े साथ ही धन्नाजी को भी संयम पंथ पर ले आए। कहते है जब तक आत्मा हो सकती है। महाव्रतों की प्राप्ति नहीं होगी तब तक वह श्रावक नहीं कहलाएगा। इसलिए हो सके तो पांच अणुव्रत का पालन भी कर सकते हो। पूज्यश्री फरमाते है कितने की खराब आदत है कि बिना जरूरत हिंसा करते है, प्रयोजन सिद्ध होने के बावजूद दूसरो को पीड़ा देते है। क्या ये सब जरूरी है? बिना कुछ विचारे इस तरह से जीवन जीते है जिसके कारण समस्त सृृृष्टि आपसे दुखी हो जाती है। कोरोना से पीडि़त इस जगत के सभी लोग कह रहे है प्राणीओं को यदि न मारा होता तो अथवा भयंकर हिंसा करने में इन आई होती तो आज ऐसी हालत न होती। वातावरण दूषित हो रहा है जंगल कम हो गए है अब तो बिना कारण जंगल में ाग लग जाती है। आस्टेलिया के जंगल में भयंकर आग लगी विज्ञान भी उसे बुझाने में समर्थ नहीं बना। इन सब कारणों से ज्ञात होता है कि हिंसा बढऩे के कारण प्रकृति हमसे रूठ रही द्गठ्ठद्गह्म्द्द4 खाली हो रही है। पूज्यश्री फरमाते है परमात्मा के जन्मकल्याणक मनाने के बाद पूरी दुनिया को एक संदेश है आदिनाथ के मार्ग पर, परमात्मा महावीर के मार्ग पर चलकर आप, सभी के विश्वास पात्र बनों। कोई करोड़ रूपिया आपको देते समय उसे विचार करना न पड़े कि ये विश्वास है कि नहीं, इसी तरह आप किसी यात्रा के लिए जा रहे हो तो वह अपनी स्त्री अथवा पुत्री को बिन्दाश भेज सके क्योंकि आप विश्वासु हो। बस. आपका व्यक्तित्व बनाकर चारित्र का पुंज प्रगट करो तथा हम भी परमात्मा के सम्यक्त्व चारित्र की चरण सित्तरी एवं करण सित्तरी के गुणों को अपने में प्रगटाकर शीघ्र शिवपद को प्राप्त करें।