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अहमदाबाद। महापुरुषों के ज्ञान रूपी अमृत वचनों कितने लोगों के जीवन में परिवर्तन लाते हैं। कितनी बार रास्ते पर लगाया हुआ बोर्ड पढऩे से हमें मार्गदर्शन मिलते है और हमारी जीवन की गति ही बदल जाती है। महापुरुषों के वचन साइन बोर्ड है जो हमारे जीवन के स्टाइल तो बदलता ही है। साथ ही हमारी गति पर भी इसका असर पढ़ता है। कितने लोग तो नरक एवं तिर्यंच में ले जाए ऐसी क्रियाएं भी करते है मगर उन्हीं लोगों को महापुरुषों के एक भी वचन यदि उनके दिल को छू जाए तो उनकी गति ही बदल जाती है।
अहमदाबाद में बिराजित प्रखर प्रवचनकार, संत मनीषि, गच्छाधिपति प.पू.आ.देव राजयश सूरीश्वरजी महाराजा श्रोताजनों को संबोधित करते हुए फरमाते है महापुरूषों के जो भी वचन प्रकाशित हुए है वे हमारे लिए अनुकरणीय है-चिंतनीय है एवं माननीय है। कहते है उत्तराध्ययन सूत्र में अनेक कथा भी है, रुपक भी है एवं तत्त्वज्ञान भी है। इसी उत्तराध्ययन सूत्र में अनेक आत्माओं की बात शाश्वत सत्य को प्रेक्टीकल बताती है।
साधारण घर का लड़का है कुछ ही दिन पहले पिताजी स्वर्गस्थ हो गए। मां के खूब इच्छा है कि उसका बेटा कपिल अपने पति के मित्र के यहां जाकर अभ्यास करें। मां की इच्छा को सहर्ष स्वीकार करके कपिल मां का आशीर्वाद लेकर पिता के मित्र के यहां गए। कुछ पाप का उदय होगा उसका मिलन किसी युवती के साथ हुआ और वह उसके प्रेम में रंग गया।
एक दिन कौमुदी महोत्सव आया। कपिल की प्रेमिका ने कपिल से दागीने की मांग की। उसने कपिल से कहा हे स्वामिनाथ आपके सिवा मैं इस दागीने के लिए किससे पास मांग करूं। मुझे तो आप कही से भी दागीना लाकर दीजिए मुझे तो सज-धजकर इस कौमुदी महोत्सव में जाना है।
कपिल के पास दूसरा कोई रास्ता नहीं था। उसने किसी के मुख से बात सुनी थी कि पड़ोसी राजा को प्रात: जाकर जो उठाता है उसे राजा 2 माप सोना देते है। कपिल रात को ही वहां से निकल गया। राजा के महल के पास आकर खड़ा हो गया। रात के दो बजे चौकीदार ने देखा कोई अनजान व्यक्ति इतनी रात को महल के पास क्या कर रहा है। हो न हो ये पुरुष चोरी करने ही आया होगा। चौकीदार ने उसे पकड़ लिया। सुबह राजा के दरबार में उसे पेश किया गया। राजा ने उसे पूछा, तुं यहां किस लिए आया था तब कलिप ने अपनी बात बताई और राजा उससे प्रसन्न होकर कहां तुम्हारे इस पुरूषार्थ एवं पराक्रम में मैं खूब प्रसन्न हूं। तुम्हें मुझसे जो मांगना है सो मांग ले।
प्रवचन की धारा को आगे बढ़ाते हुए पूज्यश्री फरमाते है ये तो कपिल था यदि कोई देव ही आप पर प्रसन्न होकर कुछ मांगने को कहे, तो आप क्या करोंगे? साहेब! अब तक कोई देव हम पर प्रसन्न नहीं हुए क्योंकि हमने ऐसी कोई विशिट आराधना ही नहीं की। कपिल ने राजा ने कहां साहब, कुछ सोचने के लिए समय दो।
कपिल सोचने लगा सोना जाएगा, घर खरीदूंगा, उसके बाद शादी करूंगा, धंधा करके पैसा आएगा तो बड़ा व्यापारी बन जाऊंगा इस तरह विचार करते करते उसका विचार बदल गया आधा राज्य ही मांग लूं तो। हिम्मत करके खड़ा हुआ तो विचार आया सम्पूर्ण राज्य ही मांग लूं तो।
पूज्यश्री फरमाते हैं कपिल के विचार में बार-बार बदलाव आ रहा है वह स्वयं ही महसूस करने लगा कि इतना सब कुछ सोचने के बाद भी मेेरे मन को तृप्ति नहीं है जहां आत्म चिंतन प्रकट हुआ और कपिल को केलवज्ञान हुआ। शास्त्रकार महर्षि फरमातेहै लोभ ने थोभ नहीं लोभी मानव कभी तृप्त नहीं होता है। दुनिया का नियम है एक इच्छा पूरी नहीं होती वहां दूसरी इच्छा तुरंत प्रकट हो जाती है जो इन इच्छाओं से मुक्त बना और केवलज्ञान प्रकट हुआ।